- मुंबईः रविवार को जनता कयूं को पुरे देश का भरपूर समर्थन मिला, इसका प्रमाण सुबह खाली सड़कें और शाम 5 बजे थाली की आवाजें दे रही थीं। लेकिन इन्हीं थालियों के शोर में ऐसे कई लोग थे, जिन्हें लॉकडाउन के न घर का रखा, न घाट का। हम बात कर रहे हैं स्टेशनों पर अटकें उन लोगों की, जो रविवार को मुंबई पहुंचे और उन्हें आगे की यात्रा करनी थी। दूसरी ओर पश्चिम रेलवे पर ही 1 मार्च से 21 मार्च तक 14.07 लाख यात्रियों ने टिकट रद्द किए हैं, जिसके 84 करोड़ रुपये रिफंड किए गए।
रेलवे ने दिखाया बाहर का रास्ता
बांद्रा टर्मिनस पर रमेश भाई और उनके साथ करीब दस लोग रात दस बजने का इंतजार कर रहे थे। उन्हें सरकार के ताजा फैसले का नहीं पता था, जिसमें 31 मार्च तक लंबी दूरी की ट्रेनें रद्द होने की बात कही गई। रमेश भाई और उनके साथी अफ्रीका से मुंबई लौटे और उन्हें 22 मार्च को पश्चिम एक्सप्रेस ट्रेन में जाना था। उन्होंने ट्रेन की बुकिंग अफ्रीका से रवाना होने के बाद कराई थी। उनके साथी संजीव कुमार ने बताया कि जब रेलवे को ट्रेन रद्द ही करनी थी, तो ट्रेन में कन्फर्म सीट क्यों दे दी। इस कन्फर्म सीट चक्कर में दस लोगों का ग्रुप इंडिया चला आया और अब रेलवे उन्हें स्टेशन में नहीं जाने दे रही है। बाहर जाओ, तो जनता कयूं के कारण पुलिस डंडे बरसा रही है। दुकानें बंद हैं, 16 घंटों से पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।